Ajmer jain temple | soniji ki nasiyan,tinimg,Aarti,things to do
Ajmer jain temple-soniji ki nasiyan,Aarti timing अजमेर जैन मंदिर के विशेष तथ्ये एवं मंदिर के बारे में जानकारी
Ajmer jain temple ki history-इतिहास
places to visit in ajmer -Ajmer jain temple राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित सोनीजी की नसिया एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है जो की अजमेर शहर के पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित है इस मुख्य जैन मन्दिर की नीव 10 अक्टूबर 1864 में रखी गई थी और प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ ) की प्रतिमा 26 मई 1865 को गर्भगृह में स्थापित की गई थी।
Ajmer jain temple-soniji ki nasiyan उन्नीसवी शताब्दी के अंत में बनाया गया था स्वर्णनगरी सोने के शहर के रूप में जाने वाला मुख्य कक्ष अयोधया का चित्रण करने के लिए 1000 किलोग्राम सोने का उपयोग किया गया जिसके कारण यह best tourist places in ajmer है। अजमेर का सोनी परिवार 1865 में ऋषभदेव या आदिनाथ को समर्पित मंदिर का निर्माण कुछ ही वर्षो में शुरू किया लेकिन 1870 से 1895 तक तो कारीगरों ने फेशन डिजाइन करने में लगा दिये गए।
Ajmer jain temple guidence & thingds to do- दिशा -निर्देश एवं देखने के स्थान
Soniji ki nasiyan- Ajmer jain temple का मुख्य आकर्षण इसका कक्ष है जिसे स्वर्ण नगरी या सोने के शहर के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर का प्राचीन नाम सिदकूट चैत्यालय है इसमें एक विशाल प्रवेश द्वार है जिसे गोपुरम भी कहा जाता है places to visit in Soniji ki nasiyan इस मंदिर को दो मंजिला बनाया गया है जिसका एक मंजिला प्रथम हिस्सा पूजा क्षेत्र के लिए है जिसमे भगवान आदिनाथ या ऋषभदेव की मूर्ति स्थापित की गई है दूसरा हिस्सा एक विशाल संग्रहलय एव हॉल है जिसमे भगवान आदिनाथ के जीवन के पांच चरणों को दर्शाया गया है मन्दिर के अन्दर छत को चांदी की गेंदों से सजाया गया है यह स्थान best tourist places in Ajmer इस मंदिर के क्षेत्र के बिच में एक 82 फिट ऊंचा स्तभ है जिसे मानस्तभ कहा जाता है
Soniji ki nasiyan - Ajmer jain temple का मुख्य प्रवेश द्वार लाल बलुआ पत्थर से बना है प्रवेश द्वार के सामने संगमरमर की सीढ़ी है। इस मन्दिर में 84 फिट की शांतिनाथ की प्रतिमा बनाई गई है। यह प्रतिमा दुनिया की सबसे बड़ी शांति नाथ प्रतिमा है।
जैन मन्दिरो में हर तीर्थकर के जीवन में पांच शुभ घटनाओ (पंच -कल्याण )के चित्रित या अलंकारित निरूपण देखे जाते है जैसे गर्भाधान जन्म त्याग ज्ञान मोक्ष आदि। अजमेर में सबसे अधिक पुराना और प्रचलित पौराणिक कथाओ को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करने के लिए 12. 2 मीटर के हिसाब से 24. 4 का विशेष रूप से से डिजाइन द्वारा एक हॉल का निर्माण किया गया है यह कम प्रवेश शुल्क के साथ पूरे वर्ष के सभी धर्मो के आने वालो के लिए खुला रहता है
Ajmer jain temple-soniji ki nasiyan-timing,entry fee समय एवं प्रवेश सुलझ शुल्क
सोनि जी की नसिया जैन मन्दिर के खुलने का समय प्रतिदिन 8 ;30 से 4 ;30 तक खुला रहता हैभारतीय पर्यटकों को 10 रु प्रति व्यक्ति एव विदेशी पर्यटकों को 25 रु प्रति व्यक्ति का प्रवेस शुल्क देना होगा।
सोनी जी की नसिया जैन मन्दिर में केवल जैनो के प्रवेस की अनुमति है अन्य लोग नहीं जा सकते है अन्य लोग मुख्य कक्ष के पीछे स्वर्ग नगरी में धूम कर आनंद ले सकते है
स्वर्ण मंदिर में लकड़ी पर सोने का काम कांच की नक्काशी और पेंटिंग भी देखने को मिलती है।यह मूल्यवान पत्थरो सोने और चांदी से सजा हुआ है।
Soniji ki nasiyan-Ajmer jain temple के आप -पास देखने के स्थान
अजमेर शरीफ दरगाह -
tourist places in ajmer-अजमेर शरीफ दरगाह,यह राजस्थान के अजमेर में लोकप्रिय और महत्वपूर्ण मुस्लिम तीर्थ स्थल है यह दरगाह ख्वाजा मोहिनुद्दीन चिश्ती की है वह सूफी संत थे उन्होंने अपना जीवन ग़रीबो व दलितों की सेवा में समर्पित किया था
अजमेर शरीफ दरगाह की आदिक जानकारी के लिए क्लिक करे।
अढ़ाई दिन का झोंपड़ा -
places to visit in ajmer अढ़ाई दिन का झोपड़ा राजस्थान के अजमेर में स्थित मस्जिद है यह स्मारक सबसे पहले संस्कृत महाविधालय के रूप में था जिसमे माँ सरस्वतीं का मन्दिर भी बना हुआ था इसका निर्माण 1192 में क़ुतुब-उद -दीन -ऐबक को मुहम्मद गोरी के द्वारा दिए गए आदेश के अनुशार शुरू करवाया गया एव 1199 में निर्माण पूरा हुआ। मुहम्मद गोरी के आदेश में कहा गया की इस स्मारक को नस्ट करके इस जगह मस्जिद बनाया जाये एव इसका निर्माण 2-1 /2 दिन में किया जाऐ (यानि मात्र 60 घंटो के भीतर )जिस कारण से इस मस्जिद का नाम अढाई दिन का झोपडा हो गया।
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नारेली जैन मंदिर -
Nareli jain temple in ajmer यह नारेली जैन मंदिर राजस्थान के अजमेर में स्थित best tourist place है यहां पर पर्यटक शहरी वातावरण को छोड़कर पहाड़ी क्षेत्रो का आनन्द लेने आते है places to visit in ajmer का Nareli jain temple मन्दिर श्री ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है आरके मार्बल के अशोक पाटनी द्वारा बनाया गया एक आधुनिक भवन है आचार्य श्री विधा सागर के शिष्य जैन ऋषी मुनि सुधा सागर ने मन्दिर के निर्माण का आशीर्वाद दिया और भवन कार्य 1994 -95 को शुरू हुआ।
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